4 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने 26 साल पुराने फैसले को पलट दिया और वोट के बजाय नोट केस में निर्णय दिया। कोर्ट ने घूसखोरी के मामले में सांसदों को किसी भी प्रकार की राहत देने से मना किया और कहा कि विशेषाधिकार के तहत किसी को भी भ्रष्टाचार में छूट नहीं मिल सकती।
1998 के फैसले को बदलते हुए सात जजों ने संविधान पीठ के अंतर्गत यह निर्णय दिया कि अगर सांसद पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा।
अपना निर्णय सुनाते हुए कोर्ट ने अनुच्छेद 105 का हवाला दिया और सात जजों ने सर्वसम्मति से कहा कि घूसखोरी, भ्रष्टाचार में किसी को कोई छूट नहीं है, चाहे सांसद हो या विधायक। उन्होंने कहा कि अगर सांसद और विधायक घूसखोरी को बढ़ावा देंगे तो इससे लोकतंत्र खत्म करने का काम होगा।
1998 के फैसले में मिली थी छूट
साल 1998 में पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई केस में सुनाया गया था, जिसमें तब फैसला हुआ था कि वोट के बजाय नोट केस में सांसदों को मुकदमे से राहत देने का निर्णय लिया गया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह अदालती निर्णय दिया कि वह पीवी नरसिम्हा मामले में फैसले से असहमत हैं। इसके पश्चात, उन्होंने पुराने फैसले को बदल दिया।
पीएम मोदी ने किया निर्णय का स्वागत
सांसद और विधायकों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए इस फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वागत किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा – “आदर्श निर्णय। सुप्रीम कोर्ट ने एक उत्कृष्ट फैसला दिया है, जो स्वच्छ राजनीति की प्रोत्साहना करेगा और संविधान में लोगों का भरोसा बढ़ाएगा।”
MP-MLA को कोई छूट नहीं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा, “आज सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने इस दौरान पुराने फैसले को भी पलट दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी विधायक यदि रुपये लेकर सवाल पूछता है या रुपये लेकर किसी को कोट करता है तो उसे कोई इम्युनिटी नहीं मिलेगी। न ही उसे कोई प्रोटोकॉल मिलेगा, बल्कि उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलेगा।”
पैसे-गिफ्ट लेकर महुआ मोइत्रा ने भी किया था सवाल
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले वोट के बदले नोट के मामले पर चर्चा हुई थी, जब महुआ मोइत्राके मामले को सामने लाया गया था। महुआ मोइत्रा पर भी आरोप लगाया गया था कि उन्होंने महंगे-महंगे तोहफे लेकर संसद में कुछ सवाल किए थे। इस मामले को भाजपा नेता निशिकांत दुबे द्वारा उठाए जाने के बाद जाँच हुई, और आरोप साबित हुए, जिसके बाद महुआ मोइत्रा को अपनी सांसदी से हाथ धोने पड़े थे।