महाराष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित हाजी अब्दुल रहमान, जिन्हें मलंग शाह के नाम से भी जाना जाता है, की दरगाह के चारों ओर एक और बार विवाद उत्पन्न हुआ है। हिन्दू संगठनों का दावा है कि इस दरगाह के नीचे हिन्दू मंदिर भी स्थित हैं और उन्होंने इस मामले की जाँच की माँग को तेज कर दिया है। इस प्रकर, हिंदू संगठनों ने इस विवाद को और भी गहरा बना दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मुद्दे में हिंदू संगठनों का साथ दिया है और उन्होंने इसे गंभीरता से लेकर देखने का आदान-प्रदान किया है।
चलिए जानते है इस हाजी मंगला शाह को लेकर विवादिक बयान ?
मलंग शाह दरगाह, जो कि ठाणे की माथेरान पहाड़ियों पर स्थित है, एक प्राचीन दुर्ग (किला) मलंगगढ़ में स्थित है। इस दुर्ग की ऊँचाई पर हाजी मलंग शाह नामक एक दरगाह है जो विवाद का केंद्र बना हुआ है। इस स्थान पर मुस्लिम समुदाय का मानना है कि यह दरगाह 12वीं शताब्दी में यमन से भारत आए सूफी फकीर अब्द उल रहमान या अब्दुल रहमान की है।
विपक्ष में, हिन्दू समुदाय इस विचार से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि यह दरगाह मुस्लिमों की नहीं, बल्कि गुरु गोरखनाथ के गुरु और नवनाथों में से एक गुरु मछिंद्रनाथ का मंदिर है। इसे हिन्दू समुदाय के अनुसार, नाथ परम्परा को समर्पित इस हिंदू मंदिर का उपस्थित होना दरगाह के नीचे है।
हुआ कहाँ से था सुरु विवाद ?
मलंग शाह दरगाह, जिसे माथेरान पहाड़ियों पर स्थित किला मलंगगढ़ में देखा जा सकता है, एक विवाद का केंद्र बना हुआ है। इसका इतिहास सदियों से चला आ रहा है। 18वीं शताब्दी में, मराठाओं ने काशीनाथ पंत केतकर को इस धार्मिक स्थल का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त किया था, और तब से यह परिवार ही इस दरगाह का प्रबंधन कर रहा है।
हालांकि, स्थानीय मुस्लिमों के बीच इसका विरोध है। उनका कहना है कि यहाँ एक दरगाह है और इसका प्रबंधन एक हिंदू नहीं कर सकता। इस मुद्दे पर विवाद हुआ था और एक लॉटरी के जरिए निर्णय लिया गया, जिसमें निर्णय केतकर के पक्ष में गया। इसके बाद, 1980 के दशक में फिर एक विवाद हुआ, और शिवसेना के नेता आनंद दीघे ने मछिन्द्रनाथ के मंदिर को पूजा की, जिसमें महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी भी शामिल हुए थे।
इस दरगाह के साथ ही, यहाँ मलंग शाह के अनुयायी भी आते हैं, लेकिन कई बार हिन्दू श्रद्धालुओं के साथ यहाँ विवाद और पूजा में व्यवधान उत्पन्न होता है। हाल ही में, 2021 में, आरती कर रहे हिन्दू श्रद्धालुओं के सामने 50-60 मुस्लिमों ने ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाए थे। इसके अलावा भी समय-समय पर इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं।
हाजी मलंग शाह दरगाह, जो कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित है, एक प्राचीन दुर्ग (किला) मलंगगढ़ में स्थित है। इस दुर्ग की ऊँचाई पर हाजी मलंग शाह नामक एक दरगाह है, जो विवाद का केंद्र बना हुआ है। मुस्लिम समुदाय का मानना है कि यह दरगाह 12वीं शताब्दी में यमन से भारत आए सूफी फकीर अब्द उल रहमान या अब्दुल रहमान की है।
इस स्थान पर विवाद बरकरार रहा है, और इसके पीछे का इतिहास दरगाह के प्रबंधन के चलते है। 18वीं शताब्दी में मराठाओं ने इस धार्मिक स्थल का प्रबन्धन करने के लिए काशीनाथ पन्त केतकर को भेजा था, जिसका परिवार आज तक इसे संभालता है। हालांकि, स्थानीय मुस्लिमों ने इसका विरोध किया है और कहा है कि इसमें मुस्लिमों का हक बनाए रखा जाना चाहिए।
इस विवाद की वजह से यहाँ पर विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच अनिमेषन होता रहता है। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव बना रहता है और कई बार इसने आपसी सद्भाव को क्षति पहुंचाई है। हाल ही में, एक मामले में हिंदू श्रद्धालुओं को बदसलूकी और पूजा में विघ्न डालने का आरोप लगा गया था, जो इस विवाद को और बढ़ा दिया।
देखे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हिन्दू भक्तों से मिलकर कहा है, “मलंगगढ़ के संबंध में आपकी आपत्तियों को मैं अच्छी तरह समझता हूँ। आनंद दीघे ने इस मंदिर के मुक्ति के लिए एक अभियान चलाया था और हमने उनके साथ ‘जय मलंग, श्री मलंग’ के नारे भी बुलंद किए थे। ऐसे मामले होते हैं जिन्हें सामान्यत: जनता के सामने लाने की जरुरत नहीं होती। मैं समझता हूँ कि मलंगगढ़ के संदर्भ में आपकी भावनाएँ कैसे हैं और इस पर मैं पूरी तरह से यकीन करता हूँ कि एकनाथ शिंदे आपकी इच्छाओं को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”
यहां यह उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आनंद दीघे को राजनीतिक मार्गदर्शन देने वाले अपने शिष्यों में से एक के रूप में देखा जाता है। आनंद दीघे पूर्व में महाराष्ट्र में शिवसेना के वरिष्ठ नेता रहे हैं, और उन्हें बाल ठाकरे पार्टी के महत्वपूर्ण सदस्य माना जाता है।