गठबंधन नेता जितेंद्र आव्हाड, बताया मंदिर मानसिक गुलामी का मार्ग, राम को बताया मांशाहारी,

कांग्रेस नेता जितेंद्र आव्हाड

नेता जितेंद्र आव्हाड ने एक बयान में कहा है कि भगवान राम मांस खाते थे और वे बहुजन समाज के राजा थे। इस बयान के पर्यावरण में, महाराष्ट्र बीजेपी के नेता राम कदम ने इस पर गिरफ्तारी की मांग की है। कदम ने इस विवादित बयान के चलते इंडिय गठबंधन के नेताओं को हिंदुओं को उकसाने का आरोप लगाया है।

महाराष्ट्र बीजेपी नेता राम कदम ने शिकायत करते हुए कहा कि उन्होंने पुलिस में जाकर इस मामले में कदम खोलने की माँग की है। पुलिस ने इस शिकायत पर आधारित करते हुए जितेंद्र आव्हाड के उस वीडियो को मांगवाया है, जिसमें उन्होंने भगवान राम के मांस खाने का विवादास्पद बयान दिया था। राम कदम ने यह भी कहा है कि महाराष्ट्र में हिंदू धर्म का अपमान करने वालों को सजा मिलेगी।

जितेंद्र आव्हाड ने शिरडी में अपनी पार्टी के अध्ययन शिविर में उद्घाटन करते समय की गतिविधियों में भाग लेते हुए यह बयान दिया, “भगवान राम बहुजनों के राजा थे और मांसाहारी थे।” इसके पश्चात उनका बयान सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है।

 

जब मीडिया ने जितेंद्र आव्हाड़ से उनके बयान के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक व्यक्ति जो 14 साल तक जंगल में रहा है, वह शाकाहारी कैसे रह सकता है। एनसीपी विधायक की भाषा ने भी भगवान राम के संबंध में तीखे टिप्पणी की थी। उन्होंने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा,

राजा राम क्या खाते थे? राजा राम क्षत्रिय वर्ण के थे और कहा जा रहा है कि क्षत्रियों का आहार मांसाहारी होता है।

बवाल को शांत कराने या माफी माँगने की बजाय, जितेंद्र आव्हाड ने इस मुद्दे को और भी ऊभा कर दिया। इस विवाद को लेकर जब उनसे पूछा गया कि तो वो तैश में आकर बोले, “क्या कंट्रोवर्सी? राम का खाना क्या था? कोई बता दे कि राम मैथी की भाजी खाता था?”

मीडिया ने पूछा कि क्या वे अपने कहे पर कायम रहेंगे, तो जितेंद्र आव्हाड ने उत्साह से कहा, “हैं बिल्कुल। अरे बिल्कुल कायम हैं यार। क्या आप भारत को शाकाहारी बनाना चाहते हैं? इस देश के 80 प्रतिशत लोग जो आज भी माँसाहारी हैं, वो राम भक्त ही हैं न।”

यह जानते हुए कि जितेंद्र आव्हाड इंडी गठबंधन के हिस्से हैं, जो राम मंदिर, अयोध्या, 370 आदि पर बार-बार उगलते रहते हैं, उन्होंने इसका सीधा संदेश दिया कि मांदिर को मानसिक गुलामी का मार्ग मानने के बजाय, वे यहाँ तक जा रहे हैं कि राम भक्त भी मांसाहारी थे।

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