राहुल गाँधी से काफी प्रभावित थी महुआ
महुआ मोइत्रा ने हाल ही में ध्यान खींचा है, जो कई समय से चर्चा में थीं। कभी अपने बड़बोलेपन के लिए, तो कभी पासवर्ड शेयरिंग के लिए। संसद से सदस्यता गंवा लेने की वजह से और इस बीच अपने प्रेम संबंधों के लिए। वह एक समय वकील थीं, फिर बिजनेसमैन बनीं। राजनेता बनकर भी चर्चा में रहीं और फिर कुछ और। जैसा कि जय अनंत देहद्राई या सुहान मुखर्जी, वह अपने खास लोगों की खबरों में रहती हैं। महुआ मोइत्रा आज ममता बनर्जी के साथ हैं, लेकिन साल 2010 तक, वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य थीं और महत्वपूर्ण कार्यों को संबोधित कर रही थीं। बाद में, कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि महुआ मोइत्रा ने राहुल गांधी के साथ तुट जाने का फैसला किया और ममता बनर्जी के साथ जुड़ गईं।
राहुल गांधी की टीम में महुआ मोइत्रा के साथ एक बहुत करीबी जुड़ाव माना जाता है।
साल 2008 में महुआ मोइत्रा ने अपनी नौकरी छोड़ दी और सीधे यूथ कॉन्ग्रेस में शामिल हो गई थीं। उन्होंने राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस की विचारधारा से अपने आत्मसमर्पण का इज़हार किया था। महुआ मोइत्रा ने वहां रहते समय कहा था कि देश में केवल दो ही राजनीतिक पार्टियाँ हैं, और उन्होंने उस समय कॉन्ग्रेस को चुना, क्योंकि वह केंद्र में सत्ता में थी। महुआ मोइत्रा ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत पश्चिम बंगाल में कियी और उन्हें ‘आम आदमी के सिपाही’ कार्यक्रम का संचालन करने का जिम्मा दिया गया था। उन्होंने नादिया जिले के 9 ब्लॉक्स का आत्मसमर्पण से संभाला। महुआ मोइत्रा की राहुल गांधी और उनके सिपाही कार्यक्रम से हुई प्रभावित थीं और उन्होंने अपनी राजनीतिक पहचान बनाने में इसे महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उसके बाद, 2010 में, उन्होंने अपनी निष्ठा में बदलाव किया।
महुआ मोइत्रा हमेशा अपने फायदे को महत्वपूर्ण मानती हैं। उन्होंने दो सालों में देखा कि पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस कभी ऊपर नहीं जा सकती है। इस चर्चा के बाद, उन्होंने ममता बनर्जी की मौजूदगी में कोलकाता में टीएमसी पार्टी में शामिल हो गई। ममता ने जब उनके पार्टी में शामिल होने की घड़ी में एक लाइन में कहा, “हमारी युवा महुआ मोइत्रा तृणमूल कॉन्ग्रेस से जुड़ रही हैं।” उस समय, महुआ मोइत्रा ने यह बताया कि इस कदम का पश्चिम बंगाल के लिए बहुत आवश्यकता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ममता बनर्जी ने महुआ मोइत्रा जैसे प्रमुख चेहरों की ‘पहचान’ का फायदा उठाने और पूँजीपतियों के साथ संबंध स्थापित करने के लिए अपनी टीम में उन्हें शामिल किया है, इसलिए शुरुआत में उन्हें कोई विशेष पद नहीं दिया जा रहा है।
और 2023 में टीएमसी को बीजेपी के एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते हुए, कॉन्ग्रेस-राहुल गाँधी पर हमला बोला गया।
महुआ मोइत्रा ने संसद से सस्पेंड होने के बाद अपने संबंध दिल्ली में कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ और टीएमसी के कोर्डिनेशन को भी देखा। फरवरी के आखिरी दिनों मेघालय विधानसभा चुनाव के दौरान, जब राहुल गाँधी ने टीएमसी को बीजेपी का एक विकल्प कहते हुए आरोप लगाया कि टीएमसी मेघालय में बीजेपी को फायदा पहुँचाने के लिए चुनाव लड़ रही है, तो महुआ मोइत्रा ने राहुल गाँधी पर कटाक्ष किया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महुआ मोइत्रा ने टीएमसी को बीजेपी का एकमात्र विकल्प बताया था। उन्होंने कहा, “कॉन्ग्रेस पार्टी में बीजेपी को हराने का दम होता, तो टीएमसी यहाँ चुनाव ही नहीं लड़ रही होती। लेकिन कॉन्ग्रेस खत्म हो चुकी है। वो बीजेपी को टक्कर देने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में टीएमसी ही बीजेपी को हराने का दम रखती है और हम मजबूती से बीजेपी के सामने खड़े भी हैं। क्या हम घर पर बैठकर कॉन्ग्रेस की एक राज्य से दूसरे राज्य में होती हार को देखते रहें या बीजेपी को हराने के मैदान में उतरें।”
महुआ मोइत्रा ने नॉर्थ शिलॉन्ग में प्रचार करते हुए कॉन्ग्रेस पर जमकर निशाना साधा था, जिसमें उन्होंने टीएमसी को बीजेपी के एकमात्र विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था, “कॉन्ग्रेस पार्टी में बीजेपी को हराने का दम होता, तो टीएमसी यहाँ चुनाव ही नहीं लड़ रही होती।
महुआ मोइत्रा का इसतरह है राजनीतिक अभियान
2008 में कॉन्ग्रेस से शामिल होने जाने के बाद, पश्चिम बंगाल में नादिया जिले के 'आम आदमी का सिपाही' कार्यक्रम का प्रमुख नेता बनीं।
साल 2010 में, उन्होंने टृणमूल कांग्रेस से जुड़ाई करते हुए नए राजनीतिक मोड़ पर कदम रखा।
साल 2010 में, उन्होंने टृणमूल कांग्रेस से जुड़ाई करते हुए नए राजनीतिक मोड़ पर कदम रखा।
-2011 में, टृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में विजय प्राप्त की और ममता बनर्जी की सरकार के दौरान उन्होंने पार्टी की प्रवक्ता का कार्य निभाया।
-2016 में, विधानसभा चुनाव में करीमपुर विधानसभा सीट से विजय प्राप्त कर विधायक बनीं।
- 2019 में, कृष्णा नगर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनीं।
-साल 2023 में, संसद से सस्पेंड होने से पहले उन्होंने अपनी सदस्यता गँवाई।
महुआ ने अपने स्वार्थ के लिए सभी को धोखा दिया।
महुआ मोइत्रा ने जब सिर उठाया राजनीति की दुनिया में, तो उनके पास किसी गॉडफादर का साथ नहीं था। कॉन्ग्रेस ने उन्हें समर्थन दिया और उन्हें राजनीतिक पहचान बनाने में मदद की। इसके बाद, उन्होंने ममता बनर्जी के साथ जुड़ा और उनका पैरदर बढ़ाते गए। महुआ आजकल अपने पूर्व बॉयफ्रेंड के साथ जुड़े विवाद में हैं, जिसके चलते उन पर विभिन्न आरोप लगे हैं, जैसे कि नींद-चैन चुराना और किसी कुत्ते को अदान-प्रदान करना। उन पर संसद में धन का शोर मचाने वाले आरोप भी उठे हैं। उनका संसदीय लॉगिन आईडी एक व्यापारी द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। अब, उनकी संसद से निलंबन हो चुका है। इस साल के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट देने के बारे में सोच रही है, या नहीं, लेकिन इन पंधरह सालों में महुआ मोइत्रा ने यह साबित किया है कि वह किसी भी स्थिति में एक चतुर नेता हैं। उन्होंने ताजगी से दिखाया है कि जब भी संघर्ष की घड़ी आई, तो उन्होंने अपनी राजनीतिक बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है, चाहे वह राहुल गाँधी, अभिषेक बनर्जी, ममता बनर्जी या हीरानंदानी हों। एहसान करते हैं महुआ, तेरी यह कौनसी कहानी है।