अजमेर मैं पुनः बनेगी संस्कृत कॉलेज और मंदिर जो आतंकवादी ने उड़ाया था ।
अजमेर की ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद को पुनः से देवालय बनाने की मांग ने भारतीय राजनीति में एक नई उत्साहपूर्ण चरण की शुरुआत की है। बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा ने इस अभियान का समर्थन किया है और कहा है कि इस जगह को संस्कृति के मूल स्वरूप में पुनः स्थापित किया जाएगा। उन्होंने केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी जी को एक पत्र लिखकर इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया है।
इस्लामी आक्रमण के काल में सैकड़ों हिंदू देवालयों को ध्वस्त किया गया था, और इसमें से एक ‘ढाई दिन का झोपड़ा‘ भी शामिल था। यहां पर विशालकाय संस्कृत महाविद्यालय (सरस्वती कंठभरन महाविद्यालय) था, जो ज्ञान और बुद्धि की हिंदू देवी माता सरस्वती को समर्पित था।
1192 ई. में, मुहम्मद गोरी ने महाराजा पृथ्वीराज चौहान को हराकर अजमेर पर अधिकार कर लिया था और उसने अपने गुलाम सेनापति कुतुब-उद-दीन-ऐबक को मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया था। ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ को उसने मस्जिद का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया, ताकि वह नमाज अदा कर सके। इस विशेषता के कारण इसे ‘अढाई दिन का झोपड़ा’ कहा गया।
इस मस्जिद को दोबारा मूल स्वरूप में लाने की मांग ने उत्साह भरे दौर में बदल दिया है, जब अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर का निर्माण हो रहा है और इसे 22 जनवरी 2024 को प्राण-प्रतिष्ठा होने की उम्मीद है। यह इस समय के महत्वपूर्ण घड़ी में आता है, जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो रहा है, जिसे ऐतिहासिक और धार्मिक पहलू से देखा जा रहा है।
जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को एक पत्र लिखकर जयपुर के ऐतिहासिक स्थल ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ को पुनः देवालय बनाने की मांग की है। रामचरण बोहरा ने इस पत्र में बताया कि यह स्थल महाराज विग्रहराज चौहान द्वारा स्थापित हिंदू देवालय और संस्कृत शिक्षा केंद्र था, लेकिन 1294 ई. में मोहम्मद गौरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे तोड़ दिया था।
पत्र में बोहरा ने लिखा है, “दासता का यह चिह्न आज भी भारतीय समाज के लिए कलंक है और इसे मूल स्वरूप में परिवर्तित करने के लिए यह पत्र आपके विचारार्थ प्रस्तुत है। इससे महाराज विग्रहराज के लोकोत्तर व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ ही पुरातन एवं महात्वपूर्ण संस्कृत शिक्षण केंद्र पुनः स्थापित हो सकेगा, जो सनातन धर्म के संरक्षण एवं विस्तार में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।”
बोहरा ने इस मामले में केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन, और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी को भी एक पत्र भेजकर इस मामले में कदम बढ़ाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि इस स्थल को पुनः संस्कृति का केंद्र बनाने से समाज को एक सांस्कृतिक और शिक्षण से भरपूर स्थान मिलेगा और यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल का अपमान भी सुधरेगा। उनका पत्र इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करके उचित समर्थन प्राप्त कर रहा है।
बोहरा ने अपने पत्र में 9 जनवरी 2024 को ढाई दिन के झोपड़ा को पुनः देवालय बनाने की मांग की है। उन्होंने पत्र में यह भी बताया कि इस ऐतिहासिक स्थल को महाराज विग्रहराज चौहान ने स्थापित किया था, लेकिन 1294 ई. में मोहम्मद गौरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे तोड़ दिया था। बोहरा ने इस भ्रष्टाचार के क्षेत्र में उच्चारण किया और चिह्नित किया कि यह समाज के लिए एक कलंक है, जिसे सुधारने के लिए उन्होंने मंत्रियों को कार्रवाई करने का आग्रह किया।
इस पत्र के एक दिन पहले, उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय के 78वें दीक्षांत समारोह के दौरान यह भी कहा था कि इस ऐतिहासिक स्थल को पुनः संस्कृति का केंद्र बनाने से समाज को एक सांस्कृतिक और शिक्षण से भरपूर स्थान मिलेगा। उन्होंने आगे बढ़कर इसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल का अपमान भी सुधारने का आग्रह किया।
जयपुर के संसदीय नेता ने बताया कि ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग ने संरक्षित किया है। ढाई दिन के झोपड़ा पर ऑपइंडिया में विस्तृत लेख भी उपलब्ध है, जिसमें इसका ऐतिहासिक महत्व विस्तार से बताया गया है।