असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के अंतर्गत असम के लगभग 3-5 लाख लोग नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे। उन्होंने लोगों के 1-1.5 करोड़ लोगों के असम में नागरिकता लेने के दावों को खारिज किया। उधर, सुप्रीम कोर्ट में आज (19 मार्च, 2024) CAA से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई होने वाली है।
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मीडिया से एक बातचीत में बताया कि अप्रैल माह के अंत तक असम में CAA से संबंधित स्पष्ट तस्वीर सामने आ जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि CAA के तहत NRC में जगह ना पाने वाले हिन्दुओं को भी नागरिकता मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “पिछले हफ्ते CAA के लागू होने की घोषणा की गई थी और 19 अप्रैल तक, इसके 40 दिन हो जाएँगे जिससे हमें राज्य में स्पष्ट तस्वीर मिलेगी। 13 हिन्दू परिवारों को गुजरात में CAA के तहत नागरिकता दी जा चुकी है लेकिन असम में अभी CAA के अंतर्गत अधिक आवेदन नहीं हुए हैं।”
उन्होंने NRC के विषय में बताते हुए कहा कि 1971 के युद्ध के समय बड़ी संख्या में हिन्दू परिवार भारत आए थे लेकिन उनमें से कई वापस भी चले गए थे। उन्होंने कहा, “इनमें से बहुत से परिवारों को तब प्रशासन द्वारा राशन कार्ड देने से मना कर दिया गया था, इसलिए उनके पास केवल शरणार्थी पंजीयन कार्ड था, लेकिन प्रतीक हजेला (NRC के अधिकारी) ने इस कार्ड को NRC में शामिल नहीं किया था इसलिए बड़ी संख्या में परिवार नागरिकता नहीं ले पाए।”
मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि असम में NRC की अंतिम सूची जारी होने के बाद लगभग 16 लाख लोगों को इसमें जगह नहीं मिली थी। इसमें 7 लाख मुस्लिम हैं जबकि बाकी कोच-राजबंशी और दास जैसे उपनाम वाले असमिया हिन्दू हैं। उन्हें CAA के तहत नागरिकता पर भी चर्चा की गई।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि CAA के अंतर्गत 3 से 6 लाख लोग आवेदन असम में करेंगे, ना कि 18-20 लाख या 1.5 करोड़, जिसका दावा किया जा रहा है। इसमें 10% ऊपर नीचे हो सकता है लेकिन आँकड़ा 6 लाख से ऊपर नहीं जाएगा।” CM सरमा ने बताया कि उन्होंने यह आँकड़ा राज्य पर अपनी पकड़ के चलते अनुमान से दिया है।
उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं की जनसंख्या घटने को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, “लोगों का दावा है कि बांग्लादेश में 1.5 करोड़ हिंदू जनसंख्या में कम हो गई है, यह सभी असम में आ गए हैं। असल सच है कि बांग्लादेश में 2 करोड़ मुस्लिम आबादी बढ़ गई, और हिंदू आबादी इसलिए कम हो गई क्योंकि धर्मांतरण हो गया।”
हाल ही में, केंद्र सरकार ने CAA को देश भर में प्रभावी रूप से लागू किया है। इसके अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता का प्रावधान किया गया है। इस नए कानून के तहत, 2014 से पहले भारत आने वाले सभी हिन्दू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध, और ईसाई शरणार्थियों को भी नागरिकता प्रदान की जाएगी। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार ने एक पोर्टल और मोबाइल एप भी लॉन्च किया है।