25 करोड़ लोग गरीबी से निकले बाहर, नीति आयोग ने दिए आँकड़े
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की अर्थव्यवस्था न केवल पूरी दुनिया में सबसे तेज है, बल्कि इस दौरान करीब 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए हैं, और यह भी महज 9 सालों में। नीति आयोग द्वारा जारी एक शोधपत्र के मुताबिक, आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब गरीबी की सीमा से पार है। 2013-2014 में, भारत की आबादी का 29.17 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे था, जो अब 11.28 प्रतिशत तक घटकर रह गया है।
नीति आयोग ने जारी किए गए इस शोधपत्र को “2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी” के नाम से प्रकाशित किया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), ऑक्सफोर्ड नीति, और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) के इनपुट पर आधारित जानकारी शामिल है। इस शोधपत्र के अनुसार, 2013-14 से 2022-23 के दौरान देश के 24.82 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, जिसमें नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने अहम भूमिका निभाई है।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index-MPI) यानी एमपीआई एक विश्वस्तरीय मान्यता प्राप्त मापक है, जो मौद्रिक पहलुओं से हटकर कई आयामों में गरीबी को दर्शाता है। एमपीआई अलकिरो और फोस्टर पद्धति पर कार्य करता है। इसके आँकड़ों के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबी में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
भारत में गरीबी साल 2013-14 में 29.17% से घटकर 2022-23 में 11.28% रही है, जिससे 17.89 प्रतिशत की कमी हुई है। उत्तर प्रदेश में पिछले 9 वर्षों के दौरान 5.94 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं, जो सबसे अधिक है। इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।
शोधपत्र यह भी दर्शाता है कि 2005-06 से 2015-16 की अवधि की तुलना में 2015-16 से 2019-21 में गरीबी में तेज गिरावट दर्ज की गई है। साल 2005-15 में गरीबी की वार्षिक गिरावट 7.69% थी, जो साल 2016-21 में बढ़कर 10.66% वार्षिक गिरावट हो गई है। इस संपूर्ण अध्ययन अवधि के दौरान एमपीआई के सभी 12 संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किए गए हैं।
भारत सरकार की कोशिशों के चलते उम्मीद है कि भारत साल 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को प्राप्त करेगा। इसमें सरकार के निरंतर समर्पण और दृढ़ प्रतिबद्धता ने सबसे कमजोर और वंचितों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पीडीएस सिस्टम से 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलता है। इस योजना को 5 वर्षों के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही पोषण अभियान, मातृ स्वास्थ्य संबंधित योजनाओं, उज्ज्वला योजना, बिजली की पहुँच, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे परिवर्तनकारी अभियानों ने सामूहिक रूप से लोगों की स्थिति में सुधार किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जनधन योजना और पीएम आवास योजना जैसी योजनाओं ने भी गरीबी को कम करने में मदद की है।
इस शोधपत्र में आगे बताया गया है कि उन राज्यों में जहाँ गरीबी दर की काफी ज्यादा थी, वहां भी काफी सुधार हुआ है। सबसे ज्यादा सुधार उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में हुआ है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत देश को साल 2047 तक विकसित बनाने का जो लक्ष्य रखा है, उसे समय से पहले ही पूरा कर लिया जाए। इस दिशा की ओर देखें तो ये आँकड़े काफी सुखद प्रतीत होते हैं।
भारत सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पीडीएस सिस्टम से 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन प्रदान किया जाता है। इस योजना को 5 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही पोषण अभियान, मातृ स्वास्थ्य संबंधित योजनाओं, उज्ज्वला योजना, बिजली की पहुँच, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे परिवर्तनकारी अभियानों ने सामूहिक रूप से लोगों की स्थिति में सुधार किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जनधन योजना और पीएम आवास योजना जैसी योजनाओं ने भी गरीबी को कम करने में मदद की है।
इस शोधपत्र में आगे बताया गया है कि उन राज्यों में जहाँ गरीबी दर की काफी ज्यादा थी, वहां भी काफी सुधार हुआ है। सबसे ज्यादा सुधार उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में हुआ है। केंद्र भारत की कोशिश है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत भारत भारत भारत देश को साल 2047 तक विकसित बनाने का जो लक्ष्य रखा है, उसे समय से पहले ही पूरा कर लिया जाए। इस दिशा की ओर देखें तो ये आँकड़े काफी सुखद प्रतीत होते हैं।