नासिक के पंचवटी से होगा आरंभ, जानें क्या है इसका महत्व:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे उपनिषद में बदलाव और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के 11 दिन पहले एक अनूठे संदेश का आयोजन किया है। उन्होंने बताया है कि वे मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा से पहले एक विशेष 11-दिन का आध्यात्मिक अनुष्ठान आरंभ करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें वे कुछ नियमों और तप का पालन करेंगे। इस धारावाहिकता की शुरुआत नासिक के पंचवटी स्थान से की जाएगी, जहाँ भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान काफी समय बिताया था।
नमो एप पर अपने संदेश को साझा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “प्रभु ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है। मैंने इसे ध्यान में रखते हुए आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूँ और मैं सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूँ।”
प्रधानमंत्री ने भावुक होते हुए जारी किए गए संदेश में कहा, “इस समय मेरे लिए अपनी भावनाओं को शब्दों में कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने अपनी तरफ से एक प्रयास किया है…हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ईश्वर के यज्ञ के लिए स्वयं में भी दैवीय चेतना जगानी होती है। इसके लिए व्रत और कठोर नियम बताए गए हैं, जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा से पहले पालन करना होता है। इसलिए, आध्यात्मिक यात्रा की कुछ तपस्वी आत्माओं और महापुरुषों से मुझे जो मार्गदर्शन मिला है, उन्होंने जो यम-नियम सुझाए हैं, उसके अनुसार ये अनुष्ठान करूँगा।”
पीएम ने बताया कि उनका ये अनुष्ठान नासिक के पंचवटी से आरंभ होगा और कहा, “मेरा ये सौभाग्य है कि 11 दिन के अपने अनुष्ठान का आरंभ, मैं नासिक धाम-पंचवटी से कर रहा हूँ। पंचवटी, वो पावन धरा है, जहाँ प्रभु श्रीराम ने काफी समय बिताया था।”
क्यों होगा नाशिक के पंचवटी मैं अनुष्ठान की शुरुआत जाने पूरी बात ।
पंचवटी, महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान, इस शानदार स्थल पर उन्होंने विशेष समय व्यतीत किया था। आज, इस स्थान पर कालाराम मंदिर स्थित है, जिसमें बड़े-बड़े बरगद के पेड़ हैं, जिन्हें मान्यता प्राप्त है कि वे पंच बरगद के पेड़ों से उत्पन्न हुए थे, और इसी कारण इस स्थल को “पंचवटी” कहा जाता है। यहां एक और महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे “माता की गुफा” कहा जाता है।
पंचवटी में कालाराम मंदिर के अलावा, कपालेश्वर मंदिर, गंगागोदावरी मंदिर, सुंदर नारायण मंदिर, तालकुटेश्वर मंदिर, नीलकंठेश्वर गोराराम मंदिर, मुरलीधर मंदिर, और तिलभांडेश्वर मंदिर जैसे कई अन्य मंदिर स्थित हैं। यहां के ऐतिहासिक मंदिरों की संख्या इतनी अधिक है कि इसे अक्सर “पश्चिमी भारत का काशी” कहा जाता है।
पंचवटी और इसके आसपास के क्षेत्र में कात्या मारुति मंदिर, पंचमुखी हनुमान मंदिर, भद्रकाली मंदिर, और कटपुरथला स्मारक भी स्थित हैं, जो इस स्थल को और भी पौराणिक महत्वपूर्ण बनाते हैं। इस प्राचीन स्थल का आवश्यकता से ज्यादा महत्व है और यह एक धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय है।
राम मंदिर के सुभकामना के लिए Pm मोदी करेंगें अनुष्ठान।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्ममुहूर्त में उठने, साधना करने, और सात्विक आहार का पालन करने जैसे स्वस्थ जीवनशैली के नियमों को अपनी दिनचर्या में शामिल किया है। हालांकि, इस बार वह रामलला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले 11 दिन का विशेष अनुष्ठान करने का निर्णय लेने का एलान किया है।
प्रधानमंत्री ने यह बताया कि इस अनुष्ठान के दौरान वह शास्त्रों में बताए गए व्रत और कठोर नियमों का भी पालन करेंगे, जिनका मकसद विशेषतः इश्वर के यज्ञ के लिए अपनी आत्मा को पवित्र बनाए रखना है। इसमें उन्होंने योग और आध्यात्मिक अनुष्ठानों को संजीवनी बनाए रखने के लिए व्रतों का महत्व बताया है।
उन्होंने अपने आशीर्वाद की भी मांग की, जो सभी भारतवासियों के साथ साझा करने का संकल्प लेते हुए रामलला की प्रतिष्ठा समारोह के लिए तैयारी में जुटे हैं। इस समय में उन्होंने अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना कठिन बताया, लेकिन उन्होंने आत्मा को पवित्रता की ओर बढ़ाने का संकल्प किया।
पीएम ने इस अनुष्ठान की शुरुआत नासिक के पंचवटी स्थल से की है, जो भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला स्थल है। इसके साथ ही, उन्होंने योग और आध्यात्मिक अनुष्ठानों का पालन करने का संकल्प किया, जिससे उनकी आत्मा को ऊर्जा और शक्ति मिले।