Ram mandirआंदोलन,कर्नाटक के हिन्दू पुजारी को जेल भेजनी की बात ।

कर्नाटक में हिन्दू कार्यकर्ताओं पर लटक रही गिरफ़्तारी की तलवार:

आपको जानकर हैरानी होगी कि अयोध्या में 22 जनवरी2024 को श्रीराम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है, लेकिन उससे पहले कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार की पुलिस ने एक ऐतिहासिक सन्दर्भ में देखा-देखी गई घटना के सम्बंध में जाँच शुरू कर दी है। इस जाँच के तहत, पुलिस ने 30 साल पहले राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले हिंदुओं के खिलाफ कई मामलों की जाँच शुरू की है, जिसमें प्रमुख आरोपी श्रीकांत पुजारी भी शामिल हैं।

इस अनोखे मुद्दे में, पुलिस ने विशेष टीम को इकट्ठा किया है और 1992 के राम मंदिर आंदोलन से संबंधित मामलों में शामिल ‘संदिग्धों’ की सूची तैयार की है। इस सीरीज में हुए आंदोलन में शामिल अन्य हिंदू युवाओं पर गिरफ्तारी की संभावना है, और यह कदम दिखाता है कि समाज में सांप्रदायिक संघर्ष की चिंगारी अब भी जिंदा है।

इस आंदोलन के दौरान हुई कट्टर मुस्लिमों और हिंदुओं के बीच सांप्रदायिक संघर्ष ने सामाजिक स्थिति को बेहद परेशान किया था, और इसके तहत 5 दिसंबर, 1992 को हुबली में हुई एक आगजनी के बाद, पुलिस ने श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किया था। पुजारी अब अदालत में हैं और पुलिस इस केस में उनके अलावा और 8 आरोपितों की तलाश कर रही है, जिनमें से कुछ के परिवार भी शामिल हैं। यह प्रक्रिया दिखाती है कि समाज की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए पुलिस ने आवश्यक कदम उठाए हैं।

अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को श्री राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है, लेकिन इस पूर्व संदर्भ में एक नई घटना सामने आई है। कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार की पुलिस ने अब 30 साल पहले राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले हिंदुओं के खिलाफ जाँच करने का निर्णय किया है। इस नई जाँच की बातें आने के बाद विवाद बढ़ा है और समाज में विभाजन की आशंका है।

तीन दशक पहले हुए राम मंदिर आंदोलन के समय, 1992 केस में पुलिस ने श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किया था, जिसका सीधा संबंध राम मंदिर के निर्माण के साथ था। इसके बाद से ही इस मुद्दे पर विवाद छिड़ा हुआ था और उसी के तहत इस नई जाँच की शुरुआत की गई है।

पुलिस विभाग ने इस नए मामले की जाँच के लिए विशेष टीम को तैनात किया है और 1992 के राम मंदिर आंदोलन से संबंधित ‘संदिग्धों’ की सूची तैयार की है। इससे सामाजिक स्तर पर नए विवादों का सामना करना पड़ सकता है और लोग इसे सांप्रदायिक भेदभाव बढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं।

इस बारे में आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस इस बार इस नई जाँच को लेकर सावधानी बरत रही है ताकि कोई भी विवाद न उत्पन्न हो और स्थिति नियंत्रित रहे। लेकिन इसके बावजूद, यह नई घटना अयोध्या के मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को और भी संवेदनशील बना रही है।

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