Ranji trophy खेलने आई मुंबई की टीम,Bihar की निकली 2 टीम:

पत्रकार अभिषेक आनंद के अनुसार, “स्टेडियम को मेंटेन करने के लिए मेहनत, जज्बा और पैसा लगता है। वहां संसद में ‘ठाकुर का कुआँ’ और ‘अंदर के ठाकुर को मारो’ कह देने से कुछ नहीं होगा। राम मंदिर पर सवाल उठाने से भी कुछ नहीं होगा। वास्तविकता यह है कि काम करने के लिए ज़मीन पर काम करना होगा। बिहार का दुर्भाग्य है कि वहां बाकी सब कुछ हो सकता है, परंतु इसके लिए मेहनत की ज़रूरत है।”

प्रसिद्ध पत्रकार प्रदीप भंडारी लिखते हैं, “यहाँ बिहार में आयोजित हो रहे रणजी ट्रॉफी मैच का खेत है। इस मैदान पर नीतीश और लालू ने पिछले 3-4 दशकों में बिहार को बेहतर बनाने के लिए काम किया है।” अनुराग सिन्हा नामक एक उपयोगकर्ता मोइन-उल-हक मैदान पर शामिल हैं। उन्होंने साझा की गई एक वीडियो में भारी भीड़ की तस्वीर शामिल की है। अब, आप यह स्वयं देख सकते हैं कि व्यवस्थाएँ कैसी हैं। ध्रुव तिवारी ने बिहार की वर्तमान सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “तेजस्वी यादव ने दावा किया था कि बिहार इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में नंबर 1 है। इस आज के मैच में पटना के क्रिकेट स्टेडियम में, जहाँ रणजी ट्रॉफी का मैच हो रहा है, ऐसी अवस्था है। बिहार और मुंबई के बीच इस घटिया स्थान पर मैच हो रहा है। यह दिखता है कि अब तक बिहार को किसी भी स्टेडियम की आवश्यकता नहीं थी, और सभी विकास की बातें बस तकनीकी हैं।” इस बीच, बीसीए अधिकारी पर हमला हुआ है। बीसीए ने इस हमले का आरोप अपने निलंबित पूर्व सचिव अमित कुमार पर लगाया है। वास्तविकता में, पूर्व सचिव ने मैदान पर उतरने के लिए अपनी खुद की एक टीम नामित की थी। मैच के पहले दिन सुबह इसी कारण से दो अलग-अलग गुटों के बीच अराजकता फैल गई और माना जा रहा है कि गुस्से में अमित कुमार ने कथित रूप से एक अधिकारी पर हमला किया था।

बिहार का बना एक और रिकॉर्ड

इस मैच में बिहार की आधिकारिक टीम में एक अनोखा उज्ज्वल तारा भी छवि में आ रहा है – 12 साल के वैभव सूर्यवंशी। बाएँ हाथ के बल्लेबाज सूर्यवंशी ने पहले ही भारतीय अंडर-19 टीम के साथ दौड़ में उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है, और उन्होंने वीनू मांकड़ ट्रॉफी में पाँच पारियों में 93 रनों की शानदार प्रदर्शन किया था। वैभव को भी अंडर-19 क्रिकेट विश्वकप के लिए चयनित किया गया है, जो इस महीने के आखिर में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित होगा। वैभव ने कई दशकों में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनकर रिकॉर्ड बनाया है, और उन्होंने फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में भी अपना डेब्यू किया है।

बिहार में क्रिकेट का महौल पुनः ताजगी में है। राज्य में लंबे समय के बाद एलीट ग्रुप का मैच खेला जा रहा है, क्योंकि इस बार बिहार को एलीट ग्रुप में शामिल किया गया है। यह महत्वपूर्ण मुकाबला पटना के मोइन-उल-हक स्टेडियम में 41 बार के रणजी चैंपियन मुंबई और बिहार के बीच खेला जा रहा है, जो अब खहंडर के रूप में प्रसिद्ध है। बिहार में ऐसा कोई स्टेडियम नहीं है जिसका प्रबंधन BCCI से जुड़े BCA (बिहार क्रिकेट संघ) के पास हो। हालांकि, बीसीए के मुद्दे का अभिवादन जारी है।

शुक्रवार (5 जनवरी, 2024) को, जब मुंबई की क्रिकेट टीम मोइन-उल-हक स्टेडियम में पहुँची, तो बिहार की दोनों टीमें वहाँ उपस्थित थीं। इसके बाद, एक टीम को मैदान में प्रवेश नहीं मिला, इसके बजाय आधिकारिक रूप से केवल 12 साल के खिलाड़ी को फर्स्ट क्लास क्रिकेट में प्रवेश दिखाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद ही, बीसीए से जुड़े लोगों के बीच में विवाद हुआ और एक अधिकारी घायल हो गया। इस दौरान, मैच की घड़ी में बहुत कम दर्शकों की मौजूदगी रही।

बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर कहा गया है कि वे क्रिकेट में इतने ‘बड़े’ खिलाड़ी थे कि उन्होंने अपनी पढ़ाई को छोड़ दिया। वे दूसरी बार उप-मुख्यमंत्री बने हैं और उनकी क्रिकेट के प्रति भावना विशेष है। राज्य में कोई भी ऐसा स्टेडियम नहीं है जिसमें मैच खेला जा रहा है, जिसका प्रबंधन बीसीए से नहीं जुड़ा है। और जिस स्टेडियम में मुंबई-बिहार के बीच मैच खेला जा रहा है, वहां की हालत बेहद खराब है। इसे क्रिकेट विश्वकप के मैच की मेजबानी करने के लिए भी जाना जाता है, लेकिन इसकी तबियत अब खतरनाक बताई जा रही है।

दर्शकों से कहा गया है कि वे मैच देखने जा सकते हैं, लेकिन अपने जोखिम पर हों। क्योंकि मैदान में दर्शकों के लिए कोई बैठने की व्यवस्था नहीं है। गैलरी बंद है और स्कोरबोर्ड सालों से खराब है। हर तरफ अस्तित्वरहित घास है। पत्रकार अनुरंजन झा ने इसकी नकल करते हुए उसकी व्याख्या की और बिहार के रहनुमाओं से सवाल पूछा है। उन्होंने लिखा, “बिहार-मुंबई के बीच रणजी ट्रॉफ़ी मैच मोइन-उल-हक स्टेडियम में खेला जा रहा है। यह राज्य का स्थान है, जिसमें नवीं फेल उप-मुख्यमंत्री को इसलिए आगे नहीं बढ़ने दिया गया क्योंकि उन्होंने ‘क्रिकेट’ खेला था, इससे समझिए क्रिकेट भी वही क्या है जो उन्होंने खेला होगा।

 

इस स्टेडियम की दुर्दशा ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया है, इसलिए यह समझा जा रहा है कि बीसीसीआई जल्दी ही इसकी सुधार के लिए कदम उठाएगी। हालांकि, इसे बिहार में क्रिकेट से जुड़ी राजनीति को समाप्त करने में सफलता मिले तब। ऐसा माना जा रहा है कि एक ही राज्य में दो अलग-अलग टीमों की घोषणा करना, रणजी मैच के लिए, उसकी स्थिति को समझना कुशलता से कम नहीं है।

जुलाई 2023 में ही मेजबानी मिल गई थी,फिर भी ऐसी तैयारी?

ऐसा भी नहीं है कि इस स्टेडियम को संभालने का मौका प्रशासन के पास नहीं था। इस वर्ष, बिहार को चार रणजी मैचों की मेजबानी मिली है, जिसकी घोषणा जुलाई 2023 में की गई थी। यह मेहनत, जज्बा, और पैसा लगाने का परिणाम है कि इस स्टेडियम की तैयारी में और भी सुधार किया गया है। महीनों के बाद भी, इस स्टेडियम का स्थिति बहुत बेहतर हो गई है, जिससे स्पष्ट होता है कि बिहार का क्रिकेट बोर्ड काम करने के लिए संबंधितता और उत्साह से समर्थ है।

 

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