Tamil Nadu:हिंदुओं के खिलाफ नफरत,धर्मांतरण और विदेशों से अवैध फंडिंग: तमिलनाडु की ईसाई मिशनरी जीसस रिडीम्स की FCRA लाइसेंस रद्द – हिंदी पत्रिका

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मोहन सी लाजरस द्वारा संचालित विवादास्पद ईसाई मिशनरी संगठन जीसस रिडीम्स के विदेशी अंशदान को नियंत्रित करने के लिए विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को निलंबित कर दिया है। यह कदम कानूनी कार्रवाई समूह लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम (LRPF) की एक शिकायत के परिणामस्वरूप उठाया गया है। इस शिकायत में FCRA के प्रावधानों के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।

ईसाई मिशनरी संगठन जीसस रिडीम्स तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित है। इसके खिलाफ विदेशी धन प्राप्त करने के बहुत ही संदिग्ध रिकॉर्ड है, जो भारतीय हितों के खिलाफ काम करने के लिए जाने जाते हैं। भारत सरकार द्वारा जाँच करने के बाद उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध लगीं और आखिरकार उसका FCRA लाइसेंस (076160018) रद्द कर दिया गया।

वास्तव में, नवंबर 2023 में LRPF ने मोहन सी लाजरस द्वारा संचालित विवादास्पद ईसाई मिशनरी संगठन जीसस रिडीम्स और उसके विदेशी दानदाताओं की गतिविधियों की व्यापक जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया था। उसने कहा था कि जीसस रिडीम्स नाम का यह संस्था धार्मिक, जातिय, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई, क्षेत्रीय या सामुदायिक स्तर पर वैमनस्य पैदा करने की कोशिश करता है।

अपनी शिकायत में LRPF ने कहा था, “जीसस रिडीम्स के मुख्य पदाधिकारी के रूप में मोहन लाजरस उर्फ ​​मोहन सी लाजरस का कार्य विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 की विभिन्न धाराओं को आकर्षित करता है, जो उक्त संगठन के एफसीआरए पंजीकरण निलंबन/रद्दीकरण का कारण बन सकता है। जैसे कि अध्याय II, 9 (ई) (v): धार्मिक, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करना। अध्याय III 12 (4) (एफ) (vi): धार्मिक, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करना।”

LRPF ने गृह मंत्रालय से ‘जीसस रिडीम्स’ की आधिकारिक पत्रिका की जाँच के लिए भी आग्रह किया था, जो मोहन लाजरस द्वारा प्रकाशित की जा रही थी। शिकायत में यह भी दावा किया गया था कि इस एनजीओ का संचालन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, मलेशिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा, और श्रीलंका समेत कई अन्य देशों में हो रहा है।

भारत सरकार से मामले की जाँच का आग्रह करते हुए, लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम ने कहा था कि जीसस रिडीम्स ने लगातार विदेशों में ईसाई धर्म के कार्यक्रम आयोजित किए हैं और विभिन्न देशों से पादरियों को आमंत्रित किया है। संस्था ने इन आयोजनों पर होने वाले खर्च की ऑडिट रिपोर्ट आदि की भी जाँच करने का आग्रह किया था।

 

जीसस रिडीम्स को डैंगोटे ग्रुप के निदेशकों से भी भारी विदेशी फंड प्राप्त हुआ था। डैंगोटे नाइजीरिया की एक खनन कंपनी है, जिसका सिनोमा इंटरनेशनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के साथ बेहद करीबी संबंध है। सिनोमा इंटरनेशनल चीन के सरकारी स्वामित्व वाली एक कंपनी है।

द कम्युन मैगजीन के अनुसार, मोहन लाजरस जीसस रिडीम्स नाम से एक ईसाई संगठन चलाता है, जिसके माध्यम से वह धर्मांतरण की गतिविधियों को संचालित करता है। उसे हिंदू विरोधी बयान देने के लिए भी कुख्यात जाना जाता है। उसने हिंदू मंदिरों और हिंदू देवताओं के खिलाफ बयान दिए हैं, जिसके कारण उसके खिलाफ तमिलनाडु के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में IPC की विभिन्न धाराओं में कई मुकदमें दर्ज हैं।

एक और मामले में, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने मोहन लाजरस के नए पासपोर्ट की मांग को इनकार कर दिया। यह कारण था कि लाजरस ने पासपोर्ट आवेदन में उनके खिलाफ चार अपराधिक मामलों की जानकारी छुपा ली थी। साथ ही, 2021 में मद्रास उच्च न्यायालय ने हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ बयान देने के लिए उन्हें सख्त चेतावनी दी थी।

हालांकि, लाजरस को 2020 के मामले संख्या W.P.(MD)No.15829 के माध्यम से उच्च न्यायालय से राहत मिली, जिसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके ‘यात्रा करने के अधिकार’ को महत्व दिया गया था।

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