पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अक्सर आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्य के लिए कुछ नहीं किया है। जबकि सच्चाई ये है कि बंगाल में कई सरकारी योजनाओं मर घोटाले पर घोटाले सामने आए हैं, तो कई योजनाओं को लागू तक नहीं किया गया। ‘आयुष्मान भारत’ जैसी योजना को रोक कर रखा गया। केंद्र सरकार लगातार पश्चिम बंगाल के लिए फंड्स जारी करती रही, वहाँ के आमजनों के लिए योजनाएँ बनाती रहीं।
पिछले 5 वर्षों में केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के लिए 5.36 लाख करोड़ रुपये जारी किए हैं। साथ ही राज्य के आम लोगों को 80,000 करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी और 30,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी योजना का लाभ भी दिया गया है। पश्चिम बंगाल में ग्रामीण विकास के लिए 93,171 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। पिछले 10 वर्षों की बात करें तो इनमें से 6 साल ऐसे रहे हैं जब पश्चिम बंगाल को ग्रामीण विकास में सबसे ज्यादा पैसे मिले।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत राज्य को 2151 करोड़ रुपये दिए गए। वहीं शहरी विकास के लिए 13,469 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत राज्य के 4,89,959 गरीब परिवारों को घर मिला। PM गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राज्य के 6 करोड़ लोगों को राशन दिया जा रहा है। जहाँ 2013-14 में ग्रामीण विकास के लिए 2895 करोड़ रुपये दिए गए थे, अगले ही साल 2014-15 में ये आँकड़ा 170% बढ़ कर 7829 करोड़ रुपये हो गया।
पश्चिम बंगाल के जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिए पिछले 6 वर्षों में 834 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। जनजातीय समाज के छात्रों को 231 करोड़ रुपये से अधिक के स्कॉलरशिप दिए जा चुके हैं। पश्चिम बंगाल में आज की तारीख में 4026 पंजीकृत स्टार्टअप हैं। इनमें से 51% का नेतृत्व महिलाएँ कर रही हैं। PMKVY और JSS के तहत 6.74 लाख को स्किल ट्रेनिंग दी गई है। PM-युवा पायलट प्रोजेक्ट के तहत 6955 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया।
‘संकल्प’ के अंतर्गत 400 लोगों को प्रशिक्षण मिला। ‘जन शिक्षण संस्थान’ के अंतर्गत 56 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया गया। पिछले 6 वर्षों में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल को 5744 करोड़ रुपये दिए गए हैं। ‘मिशन सक्षम आंगनवाड़ी’ और ‘पोषण 2.0’ के अंतर्गत 5239 करोड़ रुपये का वित्त प्रदान किया गया। ‘मिशन वात्सल्य’ के लिए पश्चिम बंगाल को 171 करोड़ रुपये मिले। ‘मिशन शक्ति’ के लिए 334 करोड़ रुपये और ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत 6 वर्षों में 19,595 करोड़ रुपये जारी किए गए।
उसी प्रकार, मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल में ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ के अंतर्गत 14 लाख से अधिक बच्चियों के लिए बैंक खाते खोले। सड़कों के निर्माण के लिए 15,675 करोड़ रुपये अल्पकालिक ऋण के रूप में जारी किए गए। रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 19,483 करोड़ रुपये, पोर्ट्स, जलमार्ग और सागरमाला के लिए 16,300 करोड़ रुपये, और डिफेंस में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए 24,000 करोड़ रुपये उपलब्ध हुए। हल्दिया में मल्टीमोडल टर्मिनल का निर्माण पूरा हुआ। 2009-14 में यूपीए-2 की अवधि में, जहाँ पश्चिम बंगाल को रेलवे के लिए 4380 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, अब मोदी सरकार ने 11,970 करोड़ रुपये का बजट देकर इसे 173% बढ़ा दिया है।
उसी प्रकार, मोदी सरकार ने ‘समग्र शिक्षा’ के लिए पश्चिम बंगाल को 6049 करोड़ रुपए और ‘पीएम पोषण शक्ति निर्माण’ के लिए 9674 करोड़ रुपए बतौर वित्तीय सहायता प्रदान की। 69 लाख दलित छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान की गई। कृषि संस्थानों को पिछले 5 वर्षों में 1916 करोड़ रुपए का बजट अल्लाकित किया गया। ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए भी मोदी सरकार सजग रही। बेलूर मठ पर 30.3 करोड़ रुपए का निवेश किया गया। शांतिनिकेतन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की।
विश्वभारती परिसर में 24 स्थलों के विकास पर 3 करोड़ रुपए का निवेश किया गया। यूनेस्को ने अपनी ‘इंटैंजिबल कल्चरल हेरिटेज लिस्ट ऑफ ह्यूमेनिटी’ में 2021 में दुर्गा पूजा को शामिल किया, जिसकी संभावना मोदी सरकार के प्रयासों से हुई। ‘स्वदेश दर्शन’ के तहत तटीय इलाकों के विकास के लिए 65 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया। पिछले 5 वर्षों में खाद सब्सिडी पर पश्चिम बंगाल में मोदी सरकार ने 30,000 करोड़ रुपए का निवेश किया। उन्होंने 20 लाख ‘किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)’ जारी किए जिनकी लिमिट 10,972 करोड़ रुपए थी।
‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)’ के तहत 230 करोड़ रुपए का वित्त प्रदान किया गया, जिससे 1.62 लाख किसान लाभार्थियों को लाभ मिला। पिछले 6 वर्षों में पशुपालन के क्षेत्र में मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल में 283 करोड़ रुपए का निवेश किया। मत्स्य पालन के लिए 78 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। ‘PM जन धन योजना’ के तहत पश्चिम बंगाल में 5.07 करोड़ बैंक खाते खुले। ‘PM सुरक्षा बीमा योजना’ के तहत पौने 3 करोड़ लोगों को दुर्घटना पर बीमा का कवर मिला।
1 करोड़ लोगों को ‘PM जीवन ज्योति बीमा योजना’ के तहत पंजीकृत किया गया। ‘अटल पेंशन योजना’ के लाभार्थियों की संख्या 48 लाख है। ‘PM स्वनिधि’ के तहत 1.79 लाख लाभार्थियों को 195 करोड़ रुपए जारी किए गए। ‘PM मुद्रा योजना’ के तहत 2.37 लाख करोड़ की भारी-भाड़कम रकम जारी की गई। पश्चिम बंगाल को स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 12,000 करोड़ रुपए दिए गए। 3.24 लाख लोगों का ‘आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (AHBA)’ बनाया गया।
आयुर्वेद के क्षेत्र को राज्य में 129 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई। उच्च-गुणवत्ता वाले दवाओं को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य में 359 जन-औषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में दार्जीलिंग, नॉर्थ 24 परगना और पश्चिमी मेदिनीपुर में 3 ESIC अस्पतालों का निर्माण किया गया। ‘उद्यम’ पोर्टल पर 32 लाख मध्यम उद्योग पंजीकृत किए गए। इनमें से 65.16% महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं। ‘क्रेडिट गारंटी स्कीम’ के तहत 23,126 करोड़ रुपए की 2,45,118 गारंटियाँ जारी की गईं।
PMEGP (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) के अंतर्गत 12,787 यूनिट्स को 56.57 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। इससे 1,02,296 व्यक्तियों को रोजगार मिलता है। ‘PM विश्वकर्मा’ के लिए 7,35,664 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 2,12,530 महिलाएँ शामिल हैं। ‘श्रुति’ (पारंपरिक उद्योगों के लिए) के तहत 45.45 करोड़ की केंद्रीय सहायता से क्लस्टर को अनुमति दी गई। ESDP (उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम) के अंतर्गत 558 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें 25,984 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया गया।
पश्चिम बंगाल किनारे स्थित एक राज्य है और इस क्षेत्र में समुद्री विकास को भी मोदी सरकार बढ़ावा दे रही है। SMPA ने पिछले दस वर्षों में 1508.64 करोड़ रुपए की 29 परियोजनाओं को संपन्न किया है। वर्तमान में 5545.11 करोड़ रुपए के 39 प्रोजेक्ट्स काम कर रहे हैं। जलमार्ग विकास प्रोजेक्ट (JMVP) के तहत हल्दिया से वाराणसी तक 1390 किलोमीटर का वॉटरवे-1 निर्मित किया जा रहा है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह की क्षमता 2014-15 में 70.85 MPT थी जो 2022-23 में बढ़कर 99.77 MPT हो गई है।
फरक्का में नया नेविगेशनल लॉक गेट का निर्माण 374.57 करोड़ रुपए की लागत से पूरा किया गया है। भारत का मैया पोर्ट और बांग्लादेश के सुल्तानगंज पोर्ट के बीच वेसल्स का ट्रायल मूवमेंट चल रहा है। गुरु-शिष्य परंपरा के विकास के लिए 58.10 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं। सांस्कृतिक संगठनों को 34.10 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई है। कल्चर ऑफ साइंस को बढ़ावा देने के लिए 15.62 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं। राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन को 5.04 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई है। सांस्कृतिक क्षेत्र में छात्रों को 3.09 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप प्रदान की गई है। बैरकपुर स्थित गाँधी स्मारक संग्रहालय को आधुनिक बनाने के लिए 16.32 लाख रुपए निर्धारित किए गए हैं।